खण्डवा 25 अक्टूबर, 2024 – मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि सी.एम.एच.ओ. कार्यालय में राष्ट्रीय सर्पदंश नियंत्रण कार्यक्रम के तहत् चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में राज्य मास्टर ट्रेनर डॉ. विशाल श्रीवास्तव ने प्रजेंटेंशन के माध्यम से सर्पदंश के बचाव व उपचार संबंधी बिंदुओं पर जानकारी देते हुए कहा कि मरीज के लक्षण व सर्पदंश की जानकारी लेकर प्रोटोकॉल अनुसार उपचार किया जायें। उन्होंने बताया कि सांप के काटने के बाद काटने की जगह पर दर्द होना, सूजन आना, फफोला आना, खून का बहना, आँखो एवं मुंह से खून आना, उल्टी एवं मल द्वारा खून आना, त्वचा का रंग बदलना, पसीना आना या लार टपकना, सिरदर्द, चक्कर या आँखों में धुंधलापन आना, सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। इस प्रकार के लक्षण होने पर प्रोटोकॉल अनुसार उपचार तुरंत किया जाना सुनिश्चित करें।
डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि सर्पदंश के मरीज का 100 मिनट के भीतर अस्पताल में उचित उपचार करने से मरीज की 100 प्रतिशत बचने की संभावन होती है। सर्पदंश के मरीज को बिना समय गवाएं नजदीकी प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर जाकर उपचार कराना चाहिए। उन्होंने बताया कि 70 प्रतिशत सर्प जहरीले नहीं होते है, 30 प्रतिशत सर्प जो जहरीले होते है उनके काटने पर 50 प्रतिशत ही जहर शरीर में जाता है। इस दौरान नोडल अधिकारी डॉ. योगेश शर्मा द्वारा भी चिकित्सा अधिकारियों को जानकारी दी गयी।