ACACU नेशनल – सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों की ओर से अपील दायर करने में देरी पर नाराजगी जताई है। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने राज्य सरकारों को आदेश दिया कि अपील में देरी का कारण बनने वाले अफसरों को दंडित करे। कोर्ट ने कहा- कुछ अफसरों के उदासीन रवैये से सरकारी खजाने को नुकसान होता है। कोर्ट ने इसकी भरपाई अफसरों के वेतन से करने को कहा है। कोर्ट ने यह आदेश मध्य प्रदेश सरकार बनाम रामकुमार चौधरी
मामले में राज्य सरकार की याचिका को खारिज करते हुए दिया। मप्र सरकार ने हाई कोर्ट के
आदेश को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने कटनी जिले में सरकार से जुड़े जमीन के विवाद में अपील में 5 साल की देरी पर याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाते हुए कहा, राज्यों को बिना उचित आधार हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट नहीं आना चाहिए। देरी के आधार पर अपील खारिज हो जाती है। इससे सरकारी खजाने को नुकसान होता है। कोर्ट ने कहा, अपील में देरी का उचित कारण बताना जरूरी है। इसके साथ ही पीठ ने मप्र सरकार पर 1 लाख रु. जुर्माना लगाया है।
अर्जी खारिज होने के पांच साल बाद दाखिल की गई थी अपील
सुप्रीम कोर्ट ने मप्र के अफसरों के रवैये का जिक्र करते हुए कहा- इस केस में निचली कोर्ट ने 21 अगस्त 2014 को फैसला सुनाया। सरकारी वकील ने 25 अगस्त 2015 को जानकारी कलेक्टर को दी। कलेक्टर ने सीएस को 10 दिसंबर 2015 को जानकारी दी। विधि विभाग ने 26 अक्टूबर 2018 को अपील की अनुमति दी। इसकी जानकारी 31 अक्टूबर 2018 को कलेक्टर को भेजी गई। कलेक्टर के निर्देश के 1 साल बाद, यानी 18 अक्टूबर 2019 को बाद सरकारी वकील ने फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। इस तरह 1788 दिन देरी हुई। इस आधार पर हाई कोर्ट ने अपील खारिज की, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।